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Japanese Fever: जापानी बुखार क्यों होता है? जानें  क्या हैं इसके लक्षण और इससे बचने के उपाय

Japanese Fever In India: जापानी बुखार संक्रमित मच्छरों के द्वारा मनुष्यों में फैलाता है। यह एक दुर्लभ लेकिन गंभीर बीमारी है जो जापानी (इंसेफेलाइटिस) वायरस के कारण होती है। यह वायरस केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित कर सकता है और गंभीर जटिलताएं और यहां तक की मृत्यु का कारण भी बन सकता है। आइए जानते हैं इस बुखार के लक्षण और इससे बचने के उपाय…

फोटो/सोर्स: freepick.com

Japanese Fever: जैसा कि आप जानते होंगे कि बरसात के दिनों मे मच्छरों के काटने से डेंगू, मलेरिया, जीका और चिकनगुनिया जैसी गंभीर बीमारियां होती हैं। लेकिन इसके अलावा एक और बीमारी भी है। जिससे आजकल लोग बेहद परेशान है और वह है जापानी बुखार। भारत में भी जापानी बुखार के मामले बढ़ते हुए देखने को मिल रहे हैं। यह एक ऐसी दुर्लभ बीमारी है जो इंसेफेलाइटिस वायरस से संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलती है। जापानी बुखार होने के कारण मरीज को तेज बुखार और सर दर्द हो सकता है। कई मामलों में यह बीमारी जानलेवा भी साबित हो सकती है। कुछ गंभीर मामलों में तो मैरिज कोमा में भी चले जाते हैं। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के अनुसार आमतौर पर जापानी बुखार ग्रामीण इलाकों में सबसे अधिक होता है। जहां चावलों की खेती अधिक होती है। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इंसेफेलाइटिस वायरस चावल के खेतों में पनपते हैं। आईए विस्तार से जानते हैं जापानी बुखार होने के कारण लक्षण और इससे बचने के उपाय…

फोटो/सोर्स: freepick.com

जापानी बुखार होने का कारण

जापानी बुखार को मेडिकल टर्म में जापानी (इंसेफेलाइटिस) के रूप में जाना जाता हैं। जापानी बुखार इंसेफेलाइटिस वायरस कुलेक्स मच्छरों के काटने से मनुष्य में फैलता है। यह मच्छर जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस से संक्रमित होते हैं। कुलेक्स मच्छर आमतौर पर दक्षिण ऑस्ट्रेलिया में पाए जाते हैं। यह वायरस मुख्य तौर पर मच्छरों, सूअरों और जलीय पंछियों के बीच संक्रमित चक्र में मौजूद होता है। जब इंसेफेलाइटिस वायरस के कारण से संक्रमित मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है तो सिर्फ उसी व्यक्ति को जापानी बुखार के लक्षणों का अनुभव होता है। क्यूंकि जापानी बुखार संक्रामक नहीं होता है और एक से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है।

 

जापानी बुखार के लक्षण

जापानी बुखार के होने पर शरीर में निम्न प्रकार के लक्षण हो सकते है-

तेज बुखार

थकान

उल्टी या दस्त होना

जी मिचलाना

ठंड लगना

 कमजोरी होना

गार्डन में दर्द होना

बुखार आने पर घबराहट होना

गार्डन में अकड़न होना।

इन लक्षणों के अलावा कुछ लोगों को इंसेफेलाइटिस वायरस में (मस्तिष्क की सूजन) भी हो सकती है। इसके अलावा इंसेफेलाइटिस वायरस में भ्रम, असामान्य व्यवहार, नींद आना, कमजोरी लगना, दौरे, पड़ना और असामान्य गतिविधियां भी विकसित हो सकती है। आपको बता दे की जापानी बुखार 4 में से 1 व्यक्ति के लिए जानलेवा साबित हो सकता है, क्योंकि जापानी बुखार के लक्षण मच्छरों के काटने के 5 से 15 दिनों के बाद नजर आते हैं। इंसेफेलाइटिस तंत्रिका तंत्र स्थाई क्षति या मृत्यु का गंभीर कारण भी बन सकता है।

 

इंसेफेलाइटिस वायरस से बचने के उपाय

इंसेफेलाइटिस वायरस से संक्रमित मच्छरों के काटने से खुद को बचाने के लिए कुछ सरल उपाय निम्न है:

• जापानी बुखार से बचने के लिए घर के आसपास साफ सफाई रखना बेहद जरूरी है।

• लंबे और ढीले कपड़े पहने।

• बारिश होने के दौरान अपने शरीर को कपड़ों से पूरा ढक कर रखे।

• सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें।

• संभावित रूप से संक्रमित जानवरों के साथ काम करने वाले लोग या संक्रमित मच्छरों से मौजूद क्षेत्रें में काम करने वाले लोग व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पिपीई) जरूर पहनें।

 

जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस वैक्सीन

फोटो/सोर्स: freepick.com

जापानी इंसेफेलाइटिस का टीका जापानी इंसेफेलाइटिस संक्रमण से आपको बचाता है। एक स्वास्थ्य सेवा प्रदाता आपको इस टीके की दो खुराक देती है। दूसरी खुराक पहली खुराक के 28 दिनों के बाद दी जाती है। यह थे जापानी बुखार से बचने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय। लेकिन इंसेफेलाइटिस वायरस से बचने का सबसे महत्वपूर्ण उपाय है, खुद को मच्छरों से कटने से बचाना। क्योंकि यह वायरस संक्रमित मच्छरों के काटने से ही होता है।

 

(Disclaimer: यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से पेशेवर चिकित्सा साल हा दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता है। इससे अधिक जानकारी के लिए आप हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।)

 

 

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